‘अभी भी, मैं आँखें बंद करता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं ज्वार की आत्मा को देख रहा हूँ।’
किसान और फ़िल्म निर्देशक लक्ष्मीनारायण देवड़ा मुक्ता पाटील से बातचीत करते हुए बताते है कि उनकी दादी ज्वार कैसे बनाती थी, अच्छी फिल्मों का बोली और बेझिझक होने से क्या रिश्ता हैं, और ज्वार का पॉपकॉर्न लोगों को कैसे एकजुट करता है।